उज्जैन | श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आज से जन कल्याण हेतु सौमिक सुवृष्टि अग्निष्टोम सोमयाग के छह दिवसीय आयोजन का श्री गणेश श्री किया गया, जिसे श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति जनकल्याण की उदत्त भावना को लेकर कर रही है।
इस अनुष्ठान को करने वाले महाराष्ट्र के जिला सोलापुर के कासारवाडी तालुका बर्शी के मुर्धन्य विद्वान पंडित चैतन्य नारायण काले ने बताया कि महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के पूर्व यह सोमयाग श्री सोमनाथ ज्योतिर्लिंग व श्री ओमकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग में किया गया है। पंडित काले ने बताया कि सोमयज्ञ में चारों वेदों के श्रोत विद्वानों के चार-चार के समूह में सोलह ऋत्विक शामिल हैं। हर ऋत्विक का कार्य व कर्म सुनिश्चित होता है, जिन्हें देवता के रूप में मन्त्र वरण होता है। क्योंकि यह सोमयाग पहले देवता ही ऋत्विक कर्म करते थे। उनका उन्हीं स्थान में यह मनुष्य रूप में देववरण होता है।
शास्त्रों में वर्णित है कि सोमयाग में अग्निहोत्री दीक्षित व्यक्ति ही यजमान के रूप में सम्मिलित हो सकते हैं। इसलिए अग्निहोत्री दीक्षित यजमान ने सोमयाग को समाज की प्रत्येक व्यक्ति के प्रतिनिधि के स्वरूप में संकल्पित होकर सम्पन्न करवाया गया।
5000 वर्ष प्राचीन पद्धति से इस सोमयाग में महत्वपूर्ण सामग्री के रूप में उपयोग होने वाली वनस्पति सोमवल्ली जिसका सोमयाग में रस निकाल कर हवि रूप में प्रयोग किया जा रहा है। सोमवल्ली का चन्द्र कला के प्रभाव में घटना बढ़ना निर्धारित होता है। धरा पर यह सोमवल्ली देवलोक दिव्यलोक से आने के बात वेदों ने कही है। इसी वनस्पति सोमवल्ली के नाम पर इस याग का नाम सोमयाग है। शास्त्रों वर्णन अनुसार, वसंत ऋतु में सोमयाग का आयोजन किया गया है, इसमें प्रयुक्त होने वाली वनस्पति सोमवल्ली सुर्दु पहाड़ों पर पाई जाती है।