केरल में स्थापित होगी दुनिया की सबसे बड़ी काली मूर्ति , बदनावर में श्रद्धालुओं ने किया पूजन

बदनावर। केरल के तिरुवनंतपुरम में आदि शक्ति (काली मठ) की दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति स्थापित होगी। अगले महीने मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। राजस्थान के कारीगरों द्वारा संगमरमर के एक ही पत्थर से तराशी गई मूर्ति को सड़क के रास्ते ट्राले में लादकर ले जाया जा रहा है।
गुरुवार सुबह जब यह मूर्ति लेबड़-नयागांव फोरलेन से बदनावर पहुंची तो लोग आदि शक्ति की इतनी बड़ी मूर्ति को देखकर दंग रह गए। श्रद्धालुओं ने पुष्पमाला से माता की पूजा की तो कई लोगों ने मूर्ति के साथ सेल्फी ली। इसके साथ दो और ट्रालों में मां लक्ष्मी, दुर्गा, नंदी, मोर आदि की मूर्तियां भी ले रखी हुई थी। करीब 2700 किमी की यात्रा 10 से 12 दिनों में पूरी होगी।
राजस्थान के जयपुर में भैंसलाना से 50 टन वजनी काले रंग के संगमरमर के एक ही पत्थर से कुशल कारीगरों ने तराशते हुए इस मूर्ति को जीवंत रूप प्रदान किया है। यह मूर्ति साढ़े 18 फीट ऊंचाई की हैं तथा अभी इसका वजन 22 टन है। इसको साढ़े चार फीट पेडल पर स्थापित किया जा रहा है।

बताया गया कि स्थापित होने के बाद यह दुनिया की सबसे ऊंची आदि शक्ति की मूर्ति होगी। इसके साथ सफेद संगमरमर से निर्मित देवी दुर्गा और लक्ष्मी की 12-12 फीट ऊंची मूर्तियां, नंदी, मोर आदि की मूर्ति भी साथ ले जाई जा रही हैं। एक मई को जबलपुर से विधिवत पूजन कर इन मूर्तियों को तीन ट्राले में लादकर लाया जा रहा है।

नयागांव से प्रदेश में प्रवेश करते हुए ये मूर्तियां नीमच, मंदसौर, रतलाम होती हुए करीब 600 किमी की यात्रा कर यहां पहुंची। पहले तो मूर्ति देखकर लोग अंचभित हुए, बाद में श्रद्धापूर्वक वंदन किया। आदि शक्ति (काली मठ) की मूर्ति आठ से 10 दिनों की अवधि में मप्र सहित महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु से होकर केरल के पूर्णमिकवु मंदिर करीब दो हजार 100 किमी तक की यात्रा कर पहुंचेगी।

दो जून को होगी प्राण प्रतिष्ठा
इन मूर्तियों की स्थापना केरल के तिरुवनंतपुरम के चावड़ी नाडा, वेंगनूर में पूर्णमिकवु मंदिर में ऊंची देवी की मूर्ति के साथ प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। ये मूर्तियां देवी बाला त्रिपुरा सुंदरी देवी को समर्पित मंदिर की सदियों पुरानी श्रद्धा को बढ़ाएगी। दुनिया की सबसे बड़ी पंचमुखी गणेश मूर्ति और 51 अक्षर देवताओं के आवास के लिए प्रसिद्ध पूर्णमिकवु मंदिर भारत में एकमात्र तीर्थस्थल है, जो अक्षरों का प्रतिनिधित्व करने वाली देवियों को समर्पित है।

प्रत्येक अक्षर अपनी-अपनी देवी से जुड़ा हुआ है, जो भक्तों को शैक्षिक और करियर में उन्नति के लिए आशीर्वाद लेने का अवसर प्रदान करता है। हाल ही में इस मंदिर में 17 फीट ऊंची शनिजी की मूर्ति स्थापित की गई है, जो भारत में अपनी तरह की अनूठी दूसरी मूर्ति है।

राम मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव की तरह होगा आयोजन
मंदिर के मुख्य क्यूरेटर एमएस भुवनचंद्रन ने बताया कि देवी काली, दुर्गा और लक्ष्मी की मूर्तियों का स्थापना समारोह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के समान ही भव्य होगा।

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