



रायपुर। छत्तीसगढ़ पुलिस के एप सिटीजन पोर्टल पर अब शिकायतकर्ताओं का मोबाइल नंबर और पता सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। इसके पहले शिकायतकर्ता का मोबाइल नंबर और पता भी सार्वजनिक किया जाता था। पुलिस को शिकायतें मिल रही थी कि लोगों से ठगी करने वाले शातिर पोर्टल से शिकायतकर्ताओं के नंबर लेकर उस पर फोन करते थे और उनसे रुपयों की उगाही करते थे। ऐसी शिकायत मिलने के बाद रायपुर पुलिस ने पुलिस मुख्यालय को इस संबंध में पत्र लिखा था। जिसके बाद अब पोर्टल पर पता और मोबाइल नंबर को गोपनीय कर दिया गया है। एफआइआर से नंबर निकाल कर ठगी करने की खबर नईदुनिया ने सबसे पहले प्रकाशित की थी।
बता दें कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने सीसीटीएनएस के सर्वर पर सिटीजन पोर्टल एप की शुरुआत की थी। इसमें पुलिस सहायता से जुड़े सभी प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया था। इसके साथ ही एफआइआर (फर्स्ट इंफार्मेशन रिपोर्ट) को भी पोर्टल पर सार्वजनिक किया गया था। ताकि पुलिस की प्रक्रिया में पारदर्शिता आ सके।
पुलिस की इस पारदर्शिता को आनलाइन ठगी करने वाले शातिरों ने ठगी का माध्यम बना लिया था। वे एफआइआर से शिकायतकर्ताओं के नंबर लेकर उन्हें फोन करते थे और केस को खत्म करने का झांसा देकर उनसे ठगी करने की कोशिश करते थे।
इस तरह की कुछ शिकायतें मिलने के बाद पुलिस ने पुलिस मुख्यालय को इस संबंध में पत्र लिखा था। जिस पर पुलिस मुख्यालय ने सिटीजन पोर्टल पर नजर आने वाले एफआइआर से शिकायतकर्ताओं के मोबाइल नंबर और पते को गोपनीय कर दिया है।
साइबर ठगी करने वाले शातिर किसी भी शिकायतकर्ता को फोन करते थे और बोलते थे कि वे लोग वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के कार्यालय से बोल रहे हैं। वे शिकायतकर्ताओं को धमकाते थे कि जांच में उनकी शिकायत गलत मिली है। इसलिए उनके खिलाफ अब कार्रवाई की जा रही है। इस तरह से आरोपित, शिकायतकर्ताओं से वसूली का प्रयास करते थे। वहीं आरोपित को पकड़ने के नाम पर भी प्रार्थी से पैसे लेने के लिए कहा जाता है।