जबलपुर। जबलपुर के मिशनरी स्कूल के साथ ही शहर के 10 ऐसे स्कूलों के नाम सामने आए हैं, जहां पर केजी वन से 12 वीं तक खास प्रकाशकों की किताब लगाने के बदले में प्रकाशक और बुक डिपो संचालकों द्वारा करोड़ों का कमीशन पहुंचाया गया। स्कूलों द्वारा कमीशन की राशि नकद मांगे जाने पर हवाला के जरिए पैसे पहुंचाने का काम किया गया। स्कूलों को हवाला का काम करने वालों ने कमीशन के तौर पर 10 लाख रुपये से लेकर दो करोड़ तक नकद पहुंचाए। यह जानकारी सामने आने के बाद आयकर विभाग की इंवेस्टिगेशन विंग सक्रिय हो गई है।
दरअसल जिला प्रशासन और जीएसटी द्वारा शहर के बुक डिपो और यहां से मिले प्रकाशकों की जानकारी खंगाली गई। इस दौरान प्रकाशकों ने अपनी महंगी किताब, केजी वन से 12 वीं के कोर्स में जुड़वाने के लिए यह कमीशन दिया। कई मिशनरी स्कूल के संचालक और प्रबंधक , दोनों को चार पहिया लग्जरी वाहन भी पहुंचाए गए हैं | जल्द ही इन स्कूलों पर आयकर विभाग का शिकंजा कस सकता है।
जबलपुर के मिशनरी स्कूलों में लगभग 8 हजार से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं। एक बच्चे से औसम तीन हजार तक फीस हर माह ली जाती है। इनसे सालभर में सिर्फ फीस के दौर पर लगभग 29 करोड़ रुपये आते हैं। इसके अलावा हर स्कूल में कक्षा के मुताबिक अलग-अलग बुक-कापी, सप्ताह में तीन यूनिफार्म, सूज, बैग पर एक बच्चे पर 12 से 15 हजार रुपये तक खर्च होते हैं। इन्हें बिकवाने में स्कूलों को मोटा कमीशन मिलता है। इस दौरान स्कूल प्रबंधकों की शर्त होती है कि जो कमीशन दिया जा रहा है, उसका कोई रिकार्ड न हो, इसलिए उसे नकद में दिया जाए।
बता दें कि ईओडब्ल्यू ने क्राइस चर्च स्कूल प्रबंधन के विशप पीसी सिंह के पूर्व यहां छापेमारी की। इस कार्रवाई में उनके घर और आफिस से बड़ी मात्रा में नकदी, विदेश रुपयों के साथ जमीन-मकान के कागज और लग्जरी कारें मिलीं। न सिर्फ क्राइस चर्च, सेंट अलायसियस स्कूल की शाखाओं में पढ़ने वाले बच्चों की हर साल किताब बदल दी जाती है। यही हाल शहर के उन 70 स्कूलों में हैं, जहां पर जिला प्रशासन ने छापा मारा है।