रायपुर। राजधानी के 70 वार्डों में 700 से अधिक गली-मोहल्लों, चाैक-चाैराहों के किनारे हाेलिका दहन की तैयारियां जोरशोर से की जा रही है। होलिका दहन के कारण सड़क का डामरीकरण ना उखड़े इसलिए नगर निगम ने दहन स्थल पर मुरुम बिखेरा है।
होलिका दहन करने के लिए लकड़ियों से चिता सजाई जा रही है। अनेक जगहों पर सजाई गई चिता में बुआ होलिका की गोद में प्रहलाद को विराजित किया जा रहा है। इस बार होलिका दहन के दिन भद्रा का रोड़ा होने से रात्रि 11.15 बजे के पश्चात दहन किया जाएगा। रात्रि में भी मात्र एक घंटे का ही शुभ मुहूर्त है। भक्त प्रहलाद और उसकी बुआ होलिका और भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी।
आमापारा, लाखेनगर, नयापारा, रामसागरपारा, राठौर चौक, समता कालोनी, टिकरापारा, कालीबाड़ी, पचपेड़ीनाका, सुंदर नगर, बजरंग नगर, गुढ़ियारी, पुरानी बस्ती आदि जगहों पर सजाई गई चिता में बुआ होलिका की गोद में विराजे प्रहलाद आकर्षण का केंद्र है।
ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार होलिका दहन रात्रि में ही करना चाहिए। होलिका दहन के लिए पूर्णिमा तिथि का प्रदोषकाल व्यापिनी होना जरूरी है। पूर्णिमा तिथि पर ही दहन करने का महत्व है।दिन में और चतुर्दशी अथवा प्रतिपदा तिथि पर दहन नहीं करना चाहिए।
14 मार्च को पूर्णिमा तिथि सुबह 9.53 से शुरू होकर अगले दिन 25 मार्च को दोपहर 12.30 बजे तक रहेगी। भद्रा काल सुबह 9.56 बजे से रात्रि 11.14 बजे तक रहेगा। इसके पश्चात रात्रि 11.15 से 12.14 बजे तक लगभग एक घंटा होलिका दहन के लिए शुभ है