MSP पर खरीदी से किसानों को मिले एक लाख करोड़ रुपये, सम्मान निधि ने भी दिया संबल

भोपाल। किसानों को उपज का उचित मूल्य मिल जाए, यह उसकी सबसे बड़ी आवश्यकता है। प्रदेश में 70 प्रतिशत से अधिक किसानों के पास दो हेक्टेयर तक भूमि है। किसानों को उपज के बदले समर्थन मूल्य मिल जाए इसके लिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी करती है।
प्रदेश में पिछले पांच वर्ष में 64.35 लाख किसानों से एमएसपी पर उपज खरीद कर एक लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इस वर्ष 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं के उपार्जन का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त, किसान सम्मान निधि ने भी किसानों को संबल देने का काम किया है। प्रदेश के 79.81 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के रूप में अब तक 23,657 करोड़ रुपये मिल चुके हैं।
प्रदेश में सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ होने के कारण उत्पादन भी बढ़ रहा है। गेहूं का उत्पादन वर्ष 2013-14 में 174 लाख मीट्रिक टन था जो वर्ष 2022-23 में 352 लाख मीट्रिक टन हो गया। इसी अवधि में धान का उत्पादन 53 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 131 लाख मीट्रिक टन हो चुका है।
उत्पादन बढ़ने के साथ-साथ किसानों को उपज का सही दाम मिल जाए, इसके लिए एमएसपी पर उपार्जन की व्यवस्था बनाई गई है। कोरोना काल में जब सब कुछ बंद था और गेहूं की उपज आ गई थी, तब सरकार ने किसानों को राहत पहुंचाने के लिए उपार्जन (खरीदी) किया। वर्ष 2020-21 में एमएसपी पर गेहूं के उपार्जन में मध्य प्रदेश, पंजाब को पीछे छोड़कर देश में अव्वल आ चुका है।
पिछले पांच वर्ष के गेहूं के उपार्जन को ही देखा जाए तो 64.35 लाख किसानों से उपज खरीदकर 84 हजार 234 करोड़ रुपये का भुगतान सीधे आधार से लिंक बैंक खातों में किया गया। इसी तरह धान खरीदी कर 25 हजार 670 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। इसके अलावा ग्रीष्मकालीन मूंग, चना, सरसों आदि उपज का उपार्जन केंद्र सरकार की प्राइस सपोर्ट स्कीम के तहत किया जा रहा है।
मंडियों में होने वाली खरीद व्यवस्था के विकेंद्रीकरण का लाभ भी छोटे किसानों को हुआ है। फार्म गेट एप के माध्यम से पंजीकृत व्यापारियों द्वारा खेत-खलिहान से सीधे उपज खरीद ली जाती है लेकिन समय से भुगतान का न होना, आनलाइन भुगतान का विफल हो जाना, उपार्जन केंद्रों पर अव्यवस्था, गोदाम स्तरीय उपार्जन में अनियमितता, गुणवत्ताहीन उपज भी मिलीभगत कर ले लेना, जैसी समस्याएं भी हैं।
किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य दिलाने के लिए उपार्जन के साथ-साथ किसान सम्मान निधि ने भी संबल देने का काम किया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से छोटे किसानों को बड़ी राहत मिली है। तीन किस्तों में छह हजार रुपये प्रतिवर्ष दिए जा रहे हैं।
अब तक मध्य प्रदेश के 79.51 लाख किसानों को 23 हजार 657 करोड़ मिल चुके हैं। पीएम किसान सम्मान निधि योजना में हितग्राही पंजीयन संख्या के अनुसार प्रदेश का स्थान देश में दूसरा है। उधर, मध्य प्रदेश सरकार भी मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के माध्यम से अपनी ओर से किसानों को तीन किस्तों में दो-दो हजार रुपये के हिसाब से छह हजार रुपये प्रति वर्ष दे रही है। यह राशि पहले चार हजार रुपये प्रति वर्ष थी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी का दायरा बहुत सीमित है। छोटे किसानों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं होती है कि वे उपज को लंबे समय तक रोककर रख सकें, इसलिए उसे तो स्थानीय व्यापारी को ही उपज बेचनी पड़ती है। इस व्यवस्था का लाभ वास्तव में बड़े किसान ही उठाते हैं। समर्थन मूल्य पर खरीदी सरकार अपने हिसाब से करती है।

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