भोपाल। मध्य प्रदेश में अब पीपीपी मोड पर मेडिकल कालेज खोले जाएंगे। इसके लिए जिला अस्पताल का चिकित्सा महाविद्यालय (मेडिकल कालेज) के रूप में उन्नयन किया जाएगा। सरकार का मानना है कि मेडिकल कालेज और अस्पताल बनाने में लगभग 500 करोड़ रुपये का खर्च आता है, इसलिए अब निजी निवेशक पर अधिक वित्तीय भार न आए इसके लिए जिला अस्पताल निवेशक को सौंपा जाएगा। निवेशक पीपीपी मोड पर जिला अस्पताल का मेडिकल कालेज के रूप में उन्नयन कर इसमें अस्पताल भी संचालित कर सकेंगे।
इसमें 75 प्रतिशत बेड गरीबों के लिए आरक्षित रहेंगे। वहीं 25 प्रतिशत बेड निजी निवेशक अपने अनुरूप प्राइवेट बेड के रूप में उपयोग कर सकेंगे। राज्य सरकार मेडिकल कालेज के लिए जिले में कलेक्टर रेट पर निजी निवेशक को भूमि भी उपलब्ध कराएगी। ये प्रयोग प्रथम चरण में उन जिलों में किया जाएगा जहां मेडिकल कालेज की सुविधा नहीं है। सोमवार को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद (कैबिनेट) की बैठक में इस महत्वपूर्ण निर्णय को स्वीकृति दी गई है।
इसके अलावा मोहन कैबिनेट में अन्य प्रस्ताव भी स्वीकृत किए गए हैं। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कैबिनेट में हुए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि सिंचाई विभाग की पुरानी योजनाओं के कार्य प्रस्तावों पर भी चर्चा हुई। इसमें प्रदेश की लगभग 10 से अधिक सिंचाई की योजनाएं ऐसी है जिनका कार्य समय-सीमा में हो सके, इसके लिए बजट स्वीकृत किया गया। इसमें लगभग दो हजार से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई का लाभ मिलेगा।
भारत सरकार की 100 स्मार्ट सिटी-1.0 योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुव्यवस्थित शहर बनाने की घोषणा की थी। अब इसके अगले चरण में भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी-2.0 योजना प्रारंभ की है। इसके अंतर्गत इन 100 स्मार्ट सिटी में से ही 18 शहरों का चयन किया जाएगा।
शहर के विकास के लिए 135 करोड़ रुपये की राशि दी जाएगी। इन शहरों में विशेषकर हरियाली, पर्यावरण का कार्य होगा। इनमें मप्र के तीन शहर का चयन किया जाएगा। शहर को मिलने वाली राशि में 50 प्रतिशत केंद्र और 50 प्रतिशत राशि राज्य सरकार वहन करेगी। मंत्रि-मंडल में इस योजना को भी स्वीकृति प्रदान की गई।
न्यायिक अधिकारियों के समय -समय पर प्रशिक्षण देने के लिए 485.84 करोड़ की लागत से जबलपुर के ग्राम मंगेली बरेला बायपास रोड़ पर राज्य न्यायिक अकादमी का नवीन भवन निर्माण किया जाएगा। इस भवन का उपयोग केवल न्यायाधीशों को प्रशिक्षण देने के लिए ही किया जाएगा।
प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापकों को छठवें वेतनमान से एजीपी 10 हजार रुपये अतिरिक्त दिए जाने का निर्णय लिया गया। ये प्राध्यापक विद्यार्थियों को पीएचडी भी करवा सकेंगे। दो हजार प्राध्यापकों को इससे लाभान्वित होंगे। ये प्राध्यापक पीएचडी करने के लिए अधिकृत होंगे। इनको आगे कुलगुरु बनने की योग्यता भी बनने के लिए पात्र होंगे।