



विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक के दौरान तय हुआ कि वह विपक्ष में बैठेंगे और ‘उचित समय’ का इंतजार करेंगे। सियासी गलियारों इस वक्त सबसे ज्यादा मायने बात के तलाशे जा रहे हैं कि आखिर विपक्ष की ओर से कहे गए ‘उचित समय’ का क्या मतलब है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो विपक्ष की ओर से किए गए इशारों के बहुत बड़े मायने निकाले जा रहे हैं। कहा तो यह तक जा रहा है कि अगर एनडीए की 2024 वाली सरकार 2019 की तरह फैसले लेती है, तो विपक्ष उसे कमजोर करने की हर संभव कोशिश करेगा। यही नहीं सियासी गलियारों में चर्चा है, इस बात की भी सबसे ज्यादा हो रही है कि क्या गठबंधन की बनने वाली है, एनडीए की सरकार पांच साल का अपना पूरा वक्त कर पाएगी या नहीं।
लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद तमाम तरह के सियासी झंझावातों के बीच तय हो गया कि INDIA गठबंधन अब विपक्ष में बैठेगा। इसके साथ ही केंद्र में नरेंद्र मोदी की एक बार फिर से सरकार बनेगी और वह प्रधानमंत्री बनेंगे। इस नतीजे के बीच महत्वपूर्ण बात यह रही कि कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा के फासीवादी शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखेगा। उन्होंने कहा कि देश की जनता भाजपा सरकार को नहीं चाहती है और इसलिए INDIA गठबंधन द्वारा जनता की इच्छा को साकार करने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
विपक्ष का यह बयान तमाम सवाल छोड़ गया कि ‘हम उचित समय पर उचित कदम उठाएंगे। राजनीतिक जानकार अरुण शर्मा कहते हैं कि इसका मतलब है कि विपक्ष अब केंद्र सरकार को ऐसी कोई भी फैसला नहीं लेने देगा, जिसे पिछली लोकसभा में कम संख्या बल के कारण तमाम कोशिशों के बावजूद भी सरेंडर करना पड़ता था। वह बताते हैं कि गठबंधन की सरकार में कोई भी एक दल बड़ा फैसला नहीं ले सकता। क्योंकि पिछली सरकार में भारतीय जनता पार्टी के पास पर्याप्त नंबर थे, इसलिए बड़े फैसले भी लिए गए। विपक्ष इस बार भारतीय जनता पार्टी की इसी कमजोर नस को अपनी बड़ी ताकत बनाने की फिराक में है।