मणिपुर। साल भर बीतने के बाद भी बरक़रार है संकट कहीं पिता ने बच्ची को नहीं देखा, कहीं अलग रहने को मजबूर दंपती ।

बीते वर्ष 3 मई के बाद से हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग विस्थापित हो गए। जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य में अब भी स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है जहां अंतरजातीय विवाह करने वाले दंपती अब तक इस हिंसा की मार झेल रहे हैं।
मणिपुर में पिछले साल शुरू हुई जातीय हिंसा अभी तक जारी है। हिंसा के बाद से न जाने कितने परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा। आपको बता दें की वह के हालत इस कदर बने हुए है की कई मैतेई-कुकी दंपतियों को अलग-अलग रहना पड़ रहा है। जरा सोचिए उस मां के दिल पर क्या बीतती होगी, जिसे महीने में एक बार अपने बच्चों को देखने का मौका मिलता है। वहीं एक ऐसा पिता जिसने अपनी बेटी को पैदा होने के बाद से नहीं देखा हो। वहीं, महिलाओं का यह डर कि कहीं उनके पति उन्हें छोड़ तो नहीं देंगे, आगे क्या होगा। आने वाले समय में क्या होगा। ऐसे ही सवालों की चिंताओं से घिरे कई लोग हैं। महीने में केवल एक बार मिलना, बच्चों को नहीं देख पाना और भविष्य में रिश्ता टूटने का डर इन लोगों की नियति बन गई है।
ऐसे ही इन परिवारों और दंपतियों की अनेक करुणा भरी कहानियां हैं। भविष्य को लेकर इन लोगों के मन में अनिश्चितता बनी हुई है।

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