



भोपाल। शुक्रवार को एसआइटी की टीम तीन घंटे तक राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में वित्त नियंत्रक ऋषिकेश वर्मा व कुलसचिव आरएस राजपूत के खिलाफ सबूत जुटाती रही। मामले में 10 से अधिक कर्मचारियों व अधिकारियों से पूछताछ की गई है। इस मामले में वर्तमान कुलसचिव मोहन सेन से अन्य दस्तावेज मांगें गए।
विवि में करीब 50 से अधिक रैगिंग की घटनाओं के साथ-साथ कोविड काल में साफ्टवेयर खरीदी घोटाला,करियर एडवांसमेंट स्कीम में गड़बड़झाला,फर्नीचर सहित निर्माण कार्यों में 170 करोड़ रुपये के घोटाले सामने आए ।
विवि के अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 1990-91 में प्रो. सुनील कुमार और एफडी घोटाले के सहआरोपित तत्कालीन कुलसचिव आरएस राजपूत की पहली नियुक्ति सागर इंजीनियरिंग कालेज में बतौर सहायक प्राध्यापक और प्रोफेसर के पद पर हुई थी। जब प्रोफेसर बनाने के लिए समिति गठित हुई तो उसमें प्रो. कुमार भी सदस्य के रूप में शामिल थे। उन्होंने ही राजपूत को पदोन्नति देकर प्रोफेसर बनाया था ।इसके बाद दोनों सागर से रीवा इंजीनियरिंग कालेज आ गए। इसके बाद प्रो. कुमार 2017 से आरजीपीवी के कुलपति रहे। दोनों ने मिलकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया ।