भाजपा की महतारी वंदन स्कीम पर कांग्रेस ने खेला आठ गुना राशि वाली महालक्ष्मी पर दांव

रायपुर।  छत्‍तीसगढ़ में भाजपा के महतारी वंदन योजना से मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में आठ गुना राशि वाली महालक्ष्मी नारी न्याय योजना पर दांव खेला है। कांग्रेस का यह दांव कितना सफल होगा, यह चार जून को लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद ही पता चलेगा। फिलहाल, कांग्रेस के पदाधिकारी और कार्यकर्ता प्रदेशभर में जागरूकता अभियान चलाकर योजना की जानकारी घर-घर तक पहुंचाने में जुट गए है। कांग्रेस की ओर से इसके लिए आवेदन फार्म भरवाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।

प्रदेश में भाजपा की महतारी पर कांग्रेस की महालक्ष्मी के दांव पर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि ऐसी योजनाओं से महिलाओं की आर्थिक स्थिति तो सुधरती है लेकिन अर्थव्यवस्था पर इसका काफी दुष्प्रभाव पड़ता है। जानकारों का कहना है कि पार्टी के रणनीतिकारों को यह भी बताना चाहिए कि यह कैसे संभव हो पाएगा।

बताते चलें कि राज्य सरकार की ओर से महतारी वंदन योजना के तहत महिलाओं के खाते में पिछले माह मार्च से एक हजार रुपये की राशि दी जा रही है, जो आगे भी जारी रहेगी। प्रदेश में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने में महतारी वंदन योजना की अहम भूमिका मानी जाती है। राज्य सरकार पर इससे 68 हजार करोड़ का अतरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ गया है।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गरीब परिवार की एक महिला को प्रतिमाह 8,333 रुपये देने की गारंटी दी है। प्रदेश में अनुमानित 67 लाख से अधिक गरीब परिवार हैं। यदि एक महिला को 8,333 रुपये दिया जाता है तो 8,400 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी। देश में गरीबी की स्थिति जानने के लिए 2011-12 में सर्वे हुआ था। सर्वे में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 27 करोड़ आंकी गई थी, जो वर्तमान में इससे कहीं अधिक होने से इनकार नही किया जा सकता है।

अर्थशास्त्री बीएल सोनकर ने कहा, सरकार की ओर से जो भी राशि दी जाती है, वह टैक्स की होती है। राशि देने के बाद राजस्व में कमी आती है, जिसके कारण निवेश करने में समस्या उत्पन्न होती है। निवेश नहीं होने से विकास कार्य नहीं हो पाते हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से राशि बाजार में आती है, जिससे मांग बढ़ती है।

मांग बढ़ने से उत्पादन बढ़ता है, जिसके लिए निवेश करना पड़ता है। सरकार के पास निवेश के लिए राशि नही होने पर लोगों की मांग को पूरा करने के लिए उद्योगपतियों और पूजीपतियों को आगे लाना पड़ता है। इसका फायदा सरकार को न होकर उद्योगपतियों और पूजीपतियों को होता है। उनका कहना है कि सरकार को राेजगार के माध्यम से राशि दी जानी चाहिए। कुछ ना कुछ काम जरूर लेना चाहिए।

कोरोना जैसी आपातकालीन परिस्थितयों में बाजार को संचालित करने के लिए महतारी और महालक्ष्मी जैसी योजनाएं ठीक हैं। लेकिन, इसे पालिसी बनाना देश की अर्थव्यवस्था के लिए सही नही है। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता है। कोई भी निश्शुल्क योजना लंबे समय के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है।

राजनीतिक विशेषज्ञ डा. अजय चंद्राकर ने कहा, किसी भी राजनीतिक पार्टी को लोगों को निश्शुल्क राशि देने के बजाए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाने पर जोर देना चाहिए। लोगों को बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधा, राेजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम हो तो बेहतर है। देश की अर्थव्यवस्था कमजोर करने की बजाए मजबूत करनी चाहिए।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, कांग्रेस की ओर से महालक्ष्मी नारी न्याय योजना के लिए फार्म भरवाया जा रहा है, लेकिन न नौ मन तेल होगा, न राधा नाचेगी। प्रदेश में लोगों का कांग्रेस से भरोसा पूरी तरह से उठ चुका है। चाहे वे एक लाख रुपये दें या पांच लाख देने की बात कहें। जनता अब विश्वास नहीं करने वाली है।

कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, देश की जनता बदलाव के मूड में हैं। महिलाएं महंगाई से परेशान है। कांग्रेस के वादे में भरोसा दिख रहा है। देश की आधी आबादी केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनाने को तैयार है। मुख्यमंत्री साय को इसका अंदाजा हैं। वे बौखलाहट में यह बातें कह रहे हैं।

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