अथ श्री भाजपा कथ
18/नवंबर /2022
अलोक हरदेनिया…
पिपरिया (नर्मदापुरम) – विधानसभा 2023 का चुनाव होने में अब महज एक वर्ष से भी कम का समय बचा है। पिपरिया विधानसभा में बीते 3 चुनावों से भाजपा का कब्जा है। हर बार के चुनाव में वोटों की लीडिंग में जरूर कमी आई है। लेकिन भाजपा इस सीट पर अपना कब्जा जमाने मे कामयाब हो रही है। इस सीट पर एन्टी – इनकमबेंसी के साथ साथ भाजपा की गुटबाजी और दिग्गज नेताओं की नाराजगी भी समय समय पर देखने को मिली है। जो कि बीते कुछ महीनों बहुत ज्यादा बढ़ी है। दिग्गजों की नाराजगी और गुटबाजी ने सत्ता और संगठन दोनो की चिंता बढ़ा दी है।
क्या चुनावो के बाद से बढ़ी दिग्गजो कि नाराजगी?
भाजपा के सूत्र बताते है कि कुछ माह पूर्व सम्पन्न हुए जिला पंचायत,नगर परिषद, जनपद पंचायत चुनावों के बाद से कई भाजपा के दिग्गज नेता अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे है। और नाराजगी हो भी क्यो न ,जिला पंचायत चुनावो में 15 में 10 सीट पर भाजपा समर्थित प्रत्याशी विजयी हुए पर्याप्त बहुमत होने के बाद भी अगर भाजपा अपना जिला पंचायत अध्यक्ष नही बना पाई तो गुटबाजी से इंकार नही किया जा सकता है। जिला पंचायत में अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित श्रीमती योजनगंधा जूदेव का अध्यक्ष बनना तय था। लेकिन भाजपा की गुटबाज़ी और क्रॉस वोटिंग के चलते कांग्रेस ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा जमा लिया। जिला पंचायत चुनाव में हार की चर्चा राजधानी भोपाल तक में गूंजी। जिसे लेकर प्रदेश नेतृत्व ने नाराजगी भी जाहिर की। बनखेड़ी नगर परिषद में कई वरिष्ठ नेता पार्षद का चुनाव इसलिये लड़े और जीते की पार्टी संगठन उन्हें अध्यक्ष पद की कमान सौप दे, पर हुआ कुछ और भाजपा ने नये चेहरे को अध्यक्ष पद पर बैठकर इन सभी पुराने चेहरों के सपनो पर पानी फेर दिया। उसी के बाद से बनखेड़ी भाजपा में गुटबाजी साफ तौर पर देखने को मिल रही है, पिपरिया विधानसभा में बनखेड़ी विकासखण्ड भाजपा के लिये वोटो के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है, यहाँ से भाजपा को अच्छे वोटों की लीड मिलती रही है। लेकिन यहाँ पर कुछ बड़े किरार नेता पार्टी से नाराज चल रहे है। जो कि पार्टी के लिए चिंता का विषय है। पिपरिया के जनपद पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भी भाजपा के दो दिग्गज गुट अपने अपने उम्मीदवार को अध्यक्ष बनाने के लिए मैदान में उतरे थे। अब बात पिपरिया के नपा चुनाव की कई दिग्गज नेत्रियाँ उम्मीदवार पार्षद का चुनाव हार गई, जो कि नपा अध्यक्ष बनने का सपना देख रही थी, जो उम्मीदवार पार्षद का चुनाव जीती और अध्यक्ष पद के लिए जिनकी प्रबल दावेदारी मानी जा रही थी, उन्हें पार्टी ने नपा अध्यक्ष बनने के लिए हरी झंडी नही दिखाई तो यह दिग्गज नेत्रियाँ पार्टी से काफी नाराज चल रही है, और समय समय पर अपनी नाराजगी कई फोरम पर जाहिर भी कर रही है। इनकी नाराजगी भाजपा के सत्ता और संगठन दोनो के लिये चिंता बढ़ाने का काम कर रही है। वही एक पूर्व जिलाध्यक्ष भी पार्टी से नाराज चल रहे है, इन सभी दिग्गजों का पिपरिया विधानसभा में वोटरों के बीच गहरी पैठ है।ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा की चुनावी डगर में कई सारी परेशानियां दिख रही है। बहरहाल भविष्य में क्या छिपा है ये तो आने वाला समय ही बतायेगा।
क्या वंशवाद को ग्रीन सिंग्नल ?
भाजपा हमेशा से ही कांग्रेस पर वंशवाद का आरोप लगाती आई है। लेकिन प्रदेश भाजपा हो, नर्मदापुरम में जिला भाजपा हो, हिल स्टेशन पचमढ़ी की भाजपा हो, या फिर पिपरिया विधानसभा की भाजपा हो, सत्ता हो या संगठन हर स्थान पर वंशवाद का विरोध करने वाली पार्टी में कई स्थानों पर वंशवाद को बढ़ावा देने वाले कई उदाहरण आपको देखने को मिल जायेंगे।
पैराशूट लैंडिंग वाले पूर्व कांग्रेसियों को पुरस्कृत करते माननीय?
चुनावो के समय कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कांग्रेस नेता, कार्यकर्ता को भाजपा संगठन ने तुरंत ही टिकिट देकर चुनावी मैदान में उतारा तो जनता ने उन्हें चुनावी मैदान में स्वीकार नही किया वह चुनाव हार भी गये तो कोई बात नही, आपको जनता ने नकारा है, हमने नही, माननीय अपना प्रतिनिधि बनाकर पद तो दे ही देते है, चाहे फिर भाजपा का मूल कार्यकर्ता अपने आप को ठगा हुआ ही क्यों न महसूस करे।
पिछड़ा किरार वोट तय करती है हार जीत का गणित?
पिपरिया विधानसभा में 45 हजार के लगभग किरार पटैल की वोट है, जो कि हार- जीत अपनी में अपनी अहम भूमिका निभाती है। राजनीति के जानकार बताते है कि काफी लंबे समय से यह वोट भाजपा को मिलती आ रही है, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जी भी इसी समाज से आते है, लेकिन बनखेड़ी,और पिपरिया,के कुछ दिग्गज किरार नेता भाजपा से नाराज चल रहे है जो कि पार्टी के लिए आने वाले विधानसभा चुनावों में काफी चिंता का विषय है, क्योकि इन नेताओं नाराजगी का खामियाजा कही भाजपा संगठन को आने वाले विधानसभा चुनावों में न उठाना पड़ जाये। बहरहाल ऊँठ किस करवट बैठेगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगा।