1953 में हॉकी टीम की कप्तान रहीं जुबैदा आंटी नही रहीं…

1953 में हॉकी टीम की कप्तान रहीं जुबैदा आंटी नही रहीं….

पचास और साठ के दशक की महिला हॉकी खिलाड़ी रहीं जुबैदा आंटी, ने मंगलवार को भोपाल में अंतिम सांस ली। इन्हें पंडित जवाहरलाल नेहरू ने भी सम्मानित किया था।

बड़ी खबर @sms
10/11/2022….
शैलेंद्र मिश्रा शैली,9425030127

रायपुर,जबलपुर,भोपाल…

कुछ देर अगर यह वक्त ठहर जाता! तो हम भी अंतिम यात्रा में शामिल हो पाते: शैलेंद्र मिश्रा शैली

जुबेदा आंटी, जिनको उनके अपने अन्य नाम  जैसे चची,आपा के नाम से भी बुलाते थे,बीते मंगलवार शाम मगरिब (उर्दू शब्द ) के बाद इस दुनिया को अलविदा कह गईं।

विगत कुछ महीनों से बीमार चल रही थीं जिसके बाद अंततः वह दुनिया को अलविदा कह गईं।
अस्सी पार की जुबेदा आंटी के निधन की खबर जिसने भी सुनी वो दुखी हो गया। हो भी क्यूं ना जो एक बार उनसे मिलता था उनका फैन हो जाता था…

लंबे वक्त तक भोपाल के फतेहगढ़ फायर ब्रिगेड के पास अपने परिवार के साथ रहा करतीं थीं.. हाल ही के कुछ दिनों से वो एयरपोर्ट रोड स्थित इन्द्रविहार कालोनी में अपने बेटे सैयद हारून रशीद जी के साथ नए घर /मकान में रहने लगी थीं।

ज़ुबैदा ऑन्टी / मैडम भोपाल की वो हस्ती का नाम था जिन्होंने पचास और साठ (50,60)  क्व दशक में महिला हॉकी में काफी नाम कमाया। वो हमेशा उन महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी रहीं जिन्हे बंदिश और पर्दा प्रथा का सामना करना पड़ता था, क्यूंकि वो आज़ाद भारत का वो दौर था जब होंसलों को पँख लगने शुरू ही हुए थे।

ज़ुबैदा ऑन्टी ने 1955 से 65 के दौर में जमकर हॉकी खेली। इस दौर में लड़कियां बाहर निकलने तक मे संकोच करती थीं। उस दौर में ज़ुबैदा आंटी ने हॉकी को अपना करियर चुना और बनाया । वो पहले भोपाल गर्ल्स स्कूल टीम में खेलीं,फिर उनका सिलेक्शन भोपाल डिवीजन की गर्ल्स हॉकी टीम के कैप्टन के लिए हो गया। (जानकारी अनुसार )

महाविद्यालय में एडमिशन लेने के बाद आप विक्रम यूनिवर्सिटी की टीम से भी काफी खेलीं। हॉकी में अपनी अलग पहचान बनाने पर ज़ुबैदा मैडम को पूर्व पीएम पं. जवाहरलाल नेहरू ने कोलकाता में एक टूर्नामेंट में अवार्ड से पुरस्कारात किया था ।

ज़ुबैदा आंटी के पिता स्व.अब्दुल वहीद खान भोपाल रियासत में नवाब के यहाँ कार्यरत थे और सफल इंसान थे। जुबैदा आंटी का विवाह/शादी बैरसिया के जागीरदार सैयद रशीद अहमद जी के साथ हुआ,रशीद अहमद जी खुद हॉकी के बेहतरीन खिलाड़ी थे। उन्होंने भोपाल वांडर्स टीम से काफ़ी हॉकी खेली थी। वह भोपाल नगर निगम में स्पोर्ट्स ऑफिसर के पद पर रहे। बरसों पहले उनका दिहान्त हो गया था । ज़ुबैदा आंटी सरकारी स्कूल सुलेमानिया और इतवारा के सईदिया स्कूल में भी टीचर रहीं। इनके पढ़ाये  छात्र छात्राओं ने अलग अलग क्षेत्रों में नाम कमाया।

ज़ुबैदा आंटी अपने पीछे तीन बेटियों और एक बेटे सहित भरे पूरे परिवार को छोड़ कर गईं हैं। इनकी एक बेटी इंग्लैंड (ब्रिटेन )में रहती हैं।  एक बेटी हमीदिया गर्ल्स स्कूल में लेक्चरर हैं और एक इंजीनियर हैं। वहीं बेटे सैयद हारून रशीद उर्फ बबलू मियां अपना खुद का व्यापार संभालते हैं।
उनके पार्थिव शरीर की नमाज़ भोपाल के शाहजहानाबाद में कच्ची मस्जिद के पास संपन्न की गई। उनके नजदीकी और शुभचिंतकों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।

ज़ुबैदा आंटी को नमन,विनम्र श्रद्धा सुमन आदर सहित। क्योंकि मेरे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते में मप्र राज्य के बाहर प्रवास पर हूं ,जिसके कारण उनकी अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सका,लेकिन मेरे और मेरे परिवार की और से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं: शैलेंद्र मिश्रा शैली एवं परिवार।

नोट : जुबैदा आंटी जब हज करके लौटीं थीं तब की तस्वीर खबर में जानकारी का स्त्रोत सय्यद हारून जी हैँ।

केसरिया न्यूज़ एवं newsadda24 में प्रकाशित

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